वो इतने कमनज़र न
होंगे।
जो गहरे समन्द
होंगे।।
मजलूमों के खूं से
रंगे
देखने ये मन्जर
होंगे?
सह पाएंगे ना तूफान,
जो भी रेत के घर
होंगे।
जिनका खूं पानी हो
गया,
इतिहास में वो किधर
होंगे?
जिएं जो मुफलिसों के लिए, वो ही दिलों के सदर होंगे।