सुनो !
मेरे राजनेता
सुनो!!
मेरे छोटे-से प्रश्न
का उत्तर दे सकोगे ?
क्या
नए वर्ष
शिशिर में
ठिठुरती/कोहरे में लिपटी
सुबह में,
नई आशा के साथ
राष्ट्र समृद्धि/
खुशहाली के लिए
गुनगुनी धूप
मस्जिद, मंदिर,
गुरुद्वारे, चर्च का
अभिषेक करेगी
?
भूख से बिलखते/मां
की सूखी छातियों को निचोड़ते
कल के सपने के उल्लास
में,
इन भोले मासूम बच्चों
को
बिना किसी दुराव के
नए वर्ष में
दे सकोगे चुटकी भर
मुस्कान ?
आंगन में खांसते/बीमार
वर्तमान पर से
जवान होती
आकांक्षाओं का
उठने लगा है विश्वास,
और
नई कृति बनाने के
लिए
हर पल कुछ रचने की
प्रक्रिया में जीना चाहता है
वर्तमान।
इसे आरियों से काटने
का
प्रयास तो नहीं
करोगे ?
दे सकोगे,
सम्पूर्ण खुला आकाश
वर्तमान को
नए भविष्य के लिए ?
------
No comments:
Post a Comment